Election commission of India ki Shahi



Election commission of India ki Shahi


नमस्ते दोस्तों,

अभी हमारे देश में लोक सभा के इलेक्शन चल रहे हैं।  आज तीसरे चरण का मतदान हो रहा है।   हम सब वोट करते  हैं। और वोट डालने के बाद हमारे उंगली पर एक खास किस्म की साही लगाई जाती है।   यह शाही  जल्दी निकलती नहीं है।  कम से कम बिस  से तिस  दिन बाद यह शाही हमारी उंगली से गायब हो जाती है।  या निकलती है। 
कभी सोचा है यह साहि  बनती कहा है। 

नहीं ना तो जाने इस शाही का इतिहास :-

हमारे इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया ने यह साही  दक्षिण भारत में स्थित मैसूर पेंट एंड वार्निश कंपनी लिमिटेड कंपनी इस कंपनी से बनाई है।  और यह शाही खोजने का काम  भारत के पहले मुख्य निवडणूक आयुक्त सुकुमार सेन इन्होने किया  है। 
इस ink  में सिल्वर नाइट्रेट इस रसायन का उपयोग होता है।   इसी के वजह से वह साही 20 से 30 दिन बाद हमारे उंगली से निकलती है।   और जल्दी नहीं निकलती है और इससे फ्रॉड वोट नहीं किया जा सकता।  

मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड :-

कंपनी गवर्नमेंट ऑफ कर्नाटका के अंडर में  है।   और कर्नाटका गवर्नमेंट चलाती है। इस कंपनी को मैसूर के राजा तोहरे 1399 में चालू किया गया था।   उस राजा का नाम था महाराज कृष्णानंद झा वाडियार 4
1937 में इस कंपनी में पेंट्स एंड प्रोडक्ट मैन्युफैक्चरिंग होने लगा।   और जो इंक बनाई जाती है।   उसका फार्मूला सीक्रेट रखा जाता है।  और वह फार्मूला नेशनल फिजिकल लैबोरेट्री ऑफ इंडिया दिल्ली द्वारा बनाया गया है। 
और यही ink  थाईलैंड सिंगापुर मलेशिया और साउथ अफ्रीका में एक्सपोर्ट की जाती है।   और इस कंपनी ने साल 2008 में 2012 तक के कंबोडियन इलेक्शन में के लिए भी इंक बनाई थी।  यह कंपनी ink  के साथ-साथ एनिमल्स, प्राइमस, डिस्टेंपर ,सीलिंग वैक्स, भी बनाती है। जो हमारे इंडियन पोस्ट और इलेक्शन कमिशन में यूज होते हैं। 
2006 से 2007 तक इस कंपनी ने  18 मिलियन डॉलर का प्रॉफिट काम आया था। 
इस तरह हम इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया में यूज की गई ink  इनका इतिहास बता सकते   हैं। 

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